
संज्ञा की परिभाषा
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति, गुण, दशा, अवस्था और भाव के विशिष्ट नाम को संज्ञा कहा जाता है।
संज्ञा की परिभाषा और प्रकार – हिन्दी भाषा में संज्ञा तीन प्रकार की होती है।
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा की परिभाषा
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान के विशिष्ट नाम को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहा जाता है।
व्यक्तिवाचक शब्द – राम, मोहन, गीता, बबीता, उषा, पंखा, ऋग्वेद, महाभारत, जयपुर, जोधपुर, दिल्ली, पटना, कानपुर, चंडीगढ़, बीकानेर, हिमालय, गंगा, भारत, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, एशिया, अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, होली, दिवाली, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, ब्रहस्पतिवर, शुक्रवार, शनिवार, रविवार आदि।
2. जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा
किसी जाती को (वर्ग /समूह /समुदाय), किसी विशिष्ट नाम को जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है। जैसे- पशु-पक्षी (भेड़, बकरी, मोर, कबूतर, गाय आदि), फलों के नाम (आम, नारंगी, संतरा, सेब, अनार, पपीता आदि)।
Note-1
यदि कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा वाक्य में बहुवचन में प्रयुक्त होती है, तो वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है। जैसे-
(i) रावणों से सावधान रहें। (जातिवाचक)
(ii) इस देश में हरिषचंदों की कमी नहीं है। (जातिवाचक)
(iii) ये सीता, सावित्री का देश है।
(iv) इस देश में घर-घर में विभीषण मिल ही जाते हैं।
Note-2
यदि कोई जातिवाचक संज्ञा शब्द वाक्य में एक ही व्यक्ति, स्थान विशेष के लिए प्रयुक्त हो जाये तो वह व्यक्तिवाचक शब्द बन जाता है। जैसे-
(i) नेताजी ने कहा की तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा। (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
(ii) पण्डितजी स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री थे। (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
(iii) पूरी की रथ यात्रा दर्शनीय होती है। (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
(iv) गुरु का व्याकरण प्रमाणिक मन जाता है। (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
जातिवाचक संज्ञा शब्द – व्यक्ति, मनुष्य, मानव, नर, पुरुष, स्त्री, नारी, बालक, बालिका, लड़का, लड़की, पुस्तक, शहर, पर्वत, नदी, देश, राज्य, द्वीप, त्यौहार, घर, आश्रम आदि।
जातिवाचक संज्ञा के भेद/ प्रकार –
(i) समूहवाचक/ समुदाय वाचक संज्ञा
किसी समूह विशेष का नाम समुदाय वाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे- भीड़, कक्षा, पंक्ति, जुलूस, फौज, सेना, पुलिस, झुंड, गुच्छा, कुंज, मेला आदि।
(ii) द्रव्यवाचक/ पदार्थवाचक संज्ञा
ठोस व तरल पदार्थों के नाम द्रव्य वाचक संज्ञा में आते है। जैसे- ठोस पदार्थ (लोहा, तांबा, चांदी, सोना, पत्थर, लकड़ी, एल्यूमिनियम), द्रव/तरल पदार्थ (पानी, घी, दूध, छाछ, दही, तेल आदि।
Note
प्राकृतिक आपदाओं के नाम जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आते है। जैसे- तूफान, आंधी, ज्वालामुखी, भूकंप, बाढ़, अकाल, सूखा, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओलावृष्टि आदि।

3. भाववाचक संज्ञा की परिभाषा
किसी, गुण, दशा, अवस्था, भाव के विशिष्ट नाम को ही भाववाचक संज्ञा कहा जाता है। जैसे-
(i) गुण- ईमानदारी, चालाकी, चतुराई, होशियारी आदि।
(ii) दशा- गरीबी, अमीरी आदि।
(iii) अवस्था- बचपन, जवानी, बुढ़ापा, यौवन, शैशव आदि।
(iv) भाव- क्रोध, प्रेम, स्नेह, धोखा आदि।
भाववाचक संज्ञा के भेद/ प्रकार – भाववाचक संज्ञा 2 प्रकार की होती है।
(i) मूलभाववाचक संज्ञा
यदि कोई भाववाचक संज्ञा किसी दूसरे शब्द या शब्दाश के योग से नहीं बनी हुई होती है, बल्कि अपने आप में मूल शब्द होती है, वह मूल भाववाचक संज्ञा मानी जाती है। जैसे- कपट, घृणा, क्रोध, रति, द्वेष आदि।
(ii) योगिग भाववाचक संज्ञा
यदि कोई भाववाचक संज्ञा शब्द अपने आप में मूल शब्द व शब्दाश के योग से बना हुआ होता है, तो वह योगिग भाववाचक संज्ञा मानी जाती है। जैसे- पागलपन, दोस्ती, कटुता, महानतम, घबर्राहट, लड़कपन आदि।
भाववाचक संज्ञा की पहचान
जिन शब्दों का कोई रूप, रंग, आकार और बनावट नहीं होती है तथा जिन शब्दों को प्रेतीक्ष रूप से देखा व दिखाई नहीं दिया जा सके बल्कि महसूस किया जा सके, ऐसे शब्दों में भाववाचक संज्ञा होती है।
Note –
यदि भाववाचक संज्ञा वाक्य में बहुवचन में प्रयुक्त होती है, तो वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है। जैसे-
(i) आजकल पति-पत्नी में खुसियाँ बढ़ गई है। (जातिवाचक संज्ञा)
(ii) उसके सपनों में सौदागर आया। (जातिवाचक संज्ञा)
(iii) आजकल भारतीय पहनावें बढ़ गये है। (जातिवाचक संज्ञा)
संज्ञा की परिभाषा और प्रकार हिन्दी व्याकरण का बहुत हु महत्वपूर्ण विषय है।