राजस्थान में पंचायतीराज व्यवस्था

राजस्थान में पंचायतीराज

राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव करवाने का दायित्व राज्य निर्वाचन आयोग का है। पंचायतीराज राज्य सूची का विषय है। पंचायतीराज के अधीन 29 विषय शामिल हैं। पंचायतीराज का उद्देश्य सत्ता का विकेन्द्रीकरण है। सर्वप्रथम सम्पूर्ण राज्य में पंचायतीराज व्यवस्था लागू करने वाला प्रथम राज्य आंध्रप्रदेश था।

भारत में पंचायतीराज व्यवस्था की शुरूआत 2 अक्टूबर, 1959 ई. को पं. जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव से की थी।

राजस्थान में पंचायतीराज (Rajasthan me Panchaaytiraj)

बलवंतराय मेहता समिति (1957) में सर्वप्रथम पंचायतीराज की त्रिस्तरीय व्यवस्था (ग्राम, खण्ड, जिला) की सिफारिश की।

लक्ष्मीमल सिंघवी समिति (1986) ने पंचायतीराज को सवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की।

सादिक अली समिति 1964 में पंचायतीराज व्यवस्था में सुधार हेतु राज्य सरकार द्वारा गठित की गई थी।

गिरधारीलाल व्यास समिति (1973) में राज्य सरकार द्वारा गठित की गई।

हरलाल खर्रा समिति (1990) में राज्य सरकार द्वारा गठित की गई। 73वें संविधान संशोधन-1992 द्वारा पंचायतीराज को संवैधानिक दर्जा दिया गया। 74वें संविधान संशोधन-1993 द्वारा नगरीय निकायों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई।

राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम-1994

पंचायतीराज को संविधान के भाग-9 के अनुच्छेद 243 एवं 11वीं अनुसूची में जोड़ा गया। इससे इसको संवैधानिक मान्यता मिल गई। राजस्थान में यह अधिनियम ‘राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम-1994‘ के रूप में लागू हुआ। राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम, 1994 का मुख्य उद्देश्य प्रशासन में जनसामान्य की सहभागिता में वृद्धि करना है।

जयपुर में 50 करोड़ की लागत से पंचायतीराज संस्थान’ खोला गया है। राज्य में 45 ग्राम न्यायालयों की स्थापना की जा रही है। ग्राम पंचायत का प्रत्येक मतदाता ग्राम सभा का सदस्य होता है। पंचायती संस्थाओं का चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है। केन्द्र सरकार ने 2009 में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों में महिलाओं को 50% आरक्षण को स्वीकृति दे रखी है।

राजस्थान में पंचायतीराज संस्था के स्तर

राज्य में पंचायतीराज संस्थाओं के तीन स्तर हैं-

(1) ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर), (ii) पंचायत समिति (खण्ड स्तर), (iii) जिला परिषद् (जिला स्तर)।

1. ग्राम पंचायत

  • ग्राम पंचायत सदस्य– सरपंच, उपसरपंच और वार्ड पंच।
  • प्रशासनिक अधिकारी- ग्राम सेवक/पदेन सचिव।
  • सरपंच– ग्राम पंचायत का अध्यक्ष
    • वयस्क मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से चुनाव।
    • शपथ—पीठासीन अधिकारी द्वारा।
    • त्यागपत्र- विकास अधिकारी को।
  • उपसरपंचसरपंच एवं पंचों द्वारा अप्रत्यक्ष मतदान से चुनाव।
    • शपथ— पीठासीन अधिकारी द्वारा।
    • त्यागपत्र— विकास अधिकारी को।
  • यह राजस्थान में पंचायतीराज की ग्राम स्तर की संस्था है।

2. पंचायत समिति

  • सदस्य
    • (i) निर्वाचित सदस्य—प्रधान, उपप्रधान, पंचायत समिति सदस्य (CR)
    • (ii) पदेन सदस्य–सभी पंचायतों के सरपंच, क्षेत्र का विधायक
  • प्रशासनिक अधिकारी– B.D.O. (खण्ड विकास अधिकारी)
  • प्रधान—पंचायत समिति का अध्यक्ष व सर्वोच्च अधिकारी
    • पंचायत समिति सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष मतदान से चुनाव
    • शपथ—उपखण्ड अधिकारी द्वारा
    • त्यागपत्र—जिला प्रमुख को।
  • उपप्रधान—पंचायत समिति सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष मतदान से चुनाव
    • शपथ-उपखण्ड अधिकारी द्वारा
    • त्यागपत्र- प्रधान को
  • पंचायत समिति सदस्य– वयस्क मतदाताओं द्वारा चुनाव
    • शपथ-पीठासीन अधिकारी द्वारा
    • त्यागपत्र प्रधान को
  • यह राजस्थान में पंचायतीराज की ब्लॉक/तहसील स्तर की संस्था है।
  • ग्राम पंचायत व पंचायत समिति की वर्ष में चार अनिवार्य बैठकें- 26 जनवरी, 01 मई, 15 अगस्त एवं 02 अक्टूबर।

3. जिला परिषद्

  • सदस्य
    • (1) निर्वाचित सदस्य- जिला प्रमुख, उप जिला प्रमुख और जिला परिषद सदस्य (DR)
    • (ii) पदेन सदस्य– जिले के सभी प्रधान, विधायक व सास D प्रशासनिक अधिकारी-मुख्य कार्यकारी अधिक (C.E.O.)
  • जिला प्रमुख– जिला परिषद् का अध्यक्ष व सर्वोच्च अधिकारी
    • जिला परिषद् सदस्यों द्वारा चुनाव
    • शपथ- जिला कलेक्टर द्वारा
    • त्यागपत्र- संभागीय आयुक्त को।
  • उप जिला प्रमुख– जिला परिषद् सदस्यों द्वारा चुनाव।
    • वयस्क मतदाताओं द्वारा चुनाव
    • शपथ- जिला कलेक्टर द्वारा
    • त्यागपत्र- जिला प्रमुख को।
  • यह राजस्थान में पंचायतीराज की जिला स्तर की संस्था है।

नगरीय स्थानीय स्वशासन

राजस्थान में प्रथम नगरपालिका की स्थापना माउण्ट आबू में 1864 में हुई। 74वें संविधान संशोधन-1993 में स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को वैधानिक रूप में स्वीकार करते हुए संविधान में 12वीं अनुसूची एवं भाग-9 में नया भाग- 9(क) जोड़ा गया।

राज्य में नगरीय स्वशासन की तीन प्रकार की संस्थाएँ हैं-

1. नगर निगम

  • यह 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में होती हैं।
  • नगर निगम का अध्यक्ष महापौर (मेयर) कहलाता है।
  • वर्तमान में राजस्थान में 6 नगर निगम हैं- जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर और उदयपुर।

2. नगर परिषद्

  • यह 1 लाख से अधिक व 5 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों में होती है।
  • नगर परिषद् का अध्यक्ष सभापति कहलाता है।