
राजस्थान में सिंचाई के साधन कुँआ एवं नलकूप, तालाब तथा नहरे प्रमुख है। राज्य के कुल कृषि योग्य क्षेत्र के 30 प्रतिशत भाग में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।
भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित राजस्थान एक कृषि प्रधान राज्य है, परंतु राजस्थान का अधिकतर क्षेत्र मरुस्थलीय (थार) है और वर्षा भी कम होती है। यहा की अधिकांश जनसंख्या कृषि के ऊपर ही निर्भर है। अतः यहा कृषि के लिए सिंचाई की बहुत ही आवश्यकता है।
राजस्थान की 43.4% भूमि सिंचाई के अभाव में कृषि योग्य नहीं है और वह बंजर पड़ी हुई है। इस बंजर भूमि में सिंचाई के साधनों का विकास करके कृषि की जा सकती है।
Table of Contents
राजस्थान में सिंचाई के साधन (Irrigation Instruments in Rajasthan)
1. कुँआ एवं नलकूप
- राजस्थान में सिंचाई का सबसे प्रमुख साधन कुँए एवं नलकूप है।
- राज्य के कुल सिंचित क्षेत्र के 70.52 प्रतिशत भाग में कुँए एवं नलकूप द्वारा सिंचाई की जाती है।
- राज्य के पूर्वी भाग में जल का स्तर औसतन 40 फीट की गहराई पर है, जिससे इस क्षेत्र में कुँए एवं नलकूप का विकास अधिक हुआ है। इसी कारण राज्य के पूर्वी भाग में प्रमुख रूप से खेतों की सिंचाई कुँआ एवं नलकूप के माध्यम से ही होती है।
फव्वारों से सिंचाई (कुँआ व नलकूप) - जयपुर जिला राजस्थान में कुँआ व नलकूप से सिंचाई करने की दृष्टि से सबसे अग्रणी जिला है। इसके अलावा राज्य के अलवर, भरतपुर, जालौर, सिरोही, टोंक, सवाई माधोपुर, भीलवाडा, उदयपुर तथा चित्तोडगढ़ जिलों में कृषि भूमि की सिंचाई कुँआ एवं नलकूप द्वारा की जाती है।
2. नहरें
- राजस्थान में सिंचाई का दूसरा सबसे मुख्य साधन नहरें है।
- राज्य के कूल सिंचित क्षेत्र के 26.22 प्रतिशत भाग में नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती है।
- राज्य की लगभग 25 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नहरों के माध्यम से होती है।
- राजस्थान के श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, कोटा, बूँदी एवं भरतपुर जिलों में अधिकतर कृषि भूमि की सिंचाई नहरों के द्वारा ही की जाती है।
- राज्य में इंदिरा गांधी नहर, गंग नहर, गुड़गांव नहर तथा भरतपुर नहर प्रमुख है।
नहरों से सिंचाई - गंग नहर के द्वारा श्रीगंगानागर एवं बीकानेर जिलों में कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है। इस नहर की लंबाई लगभग 137 किमी है और यह 6 लाख एकड़ भूमि में सिंचाई करती है।
- इंदिरा गांधी नहर के द्वारा राज्य के श्रीगंगानागर, हनुमानगढ़, बीकानेर तथा जैसलमेर जिलों में सिंचाई की जाती है।
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3. तालाब
- राजस्थान में सबसे कम कृषि भूमि तालाब व अन्य स्रोतों से सिंचित है।
- राज्य के कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 3.26 प्रतिशत भाग ही तालाबों अर्थात जलाशयों द्वारा सिंचित है।
- राज्य के दक्षिणी एवं पूर्वी भाग में ही तालाबों के द्वरा कृषि की जाती है और यहां ये सिंचाई के प्रमुख साधन है।
- तालाबों से सिंचाई तालाबों द्वारा कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 98% भाग राज्य के दक्षिणी एवं दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र में है।
- राजस्थान में लगभग 450 तालाब है।
- राजस्थान में तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचित भीलवाड़ा जिला है।
तालाबों से सिंचाई - राज्य के श्रीगंगानगर, जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, चुरू एवं जालौर जिलों में तालाबों का अभाव पाया जाता है, क्यूंकि एक तो ये क्षेत्र रेगिस्तानी है और दूसरा यहा पर भूमिगत जल का स्तर भी काफी गहरा अर्थात नीचे है।
राजस्थान के प्रमुख तालाब (जलाशय)
(i) हेमवास – पाली
(ii) दांतीवाड़ा – पाली
(iii) खरड़ा – पाली
(iv) मुथाना – पाली
(v) सरेरी – भीलवाड़ा
(vi) खारी – भीलवाड़ा
(vii) मेजा – भीलवाड़ा
(viii) वानकिया – चित्तोडगढ़
(ix) मुरलिया – चित्तोडगढ़
(x) सेनापानी – चित्तोडगढ़
(xi) बागोलिया – उदयपुर
(xii) कीर्तिमोरी – बूँदी
(xiii) वरडा – बूँदी
(xiv) पार्वती – भरतपुर
(xv) गडीसर – जैसलमेर
(xvi) बारेठा – भरतपुर
(xvii) एडवर्ड सागर – डूँगरपुर
(xviii) हिंडोली – बूँदी
- राजस्थान कृषि में सिंचित क्षेत्र की दृष्टि से एक पिछड़ा राज्य है।
- राजस्थान को कृषि हेतु सिंचाई सुविधाओ की आवश्यकता की पूर्ति के लिए सदैव अपने पड़ोसी राज्यों गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य-प्रदेश एवं उत्तर-प्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता है।
- राजस्थान में सिंचाई के साधनों की कमी के कारण कृषि योग्य जमीन की सिंचाई भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाती है।
- राज्य के मरुस्थलीय क्षेत्र में रेतीली मृदा का विस्तार है, जो जल को तुरंत सोख लेती है। इस क्षेत्र में भूमिगत जल का स्तर भी बहुत नीचे है।