भारत और राज्यों के सरकारी विभागों द्वारा आयोजित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के Syllabus दृष्टि से ‘भारत की जलवायु (Climate of India)‘ बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में Climate of India topic से प्रश्न अवश्य पूछे जाते है।
भारत की जलवायु (Climate of India)
भारत देश का बहुत सा भाग उष्ण कटिबन्ध में और उसके निकट स्थित है।
कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य में से गुजरती है। अतः भौगोलिक दष्टि से यह गर्म देश है।
भारत के केवल अत्यन्त उत्तरी भागों में शीत ऋतु में अत्याधिक सर्दी पड़ती है।
भारत के पहाड़ी भाग मैदानों की अपेक्षा अधिक शीतल हैं, इसलिए ग्रीष्म ऋतु में कई लोग वहाँ चले जाते हैं।
समुद्र के निकट के भागों में भीतरी भागों की अपेक्षा कम गर्मी पड़ती है।
मानसूनी हवाएं भारत की जलवायु (Climate of India) पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है। इन के कारण उत्तर-पश्चिमी भारत शुष्क रह जाता है।
भारत में ऋतु अनुसार तापमान
जनवरी (शीतकाल)
तापमान
राज्य
25° से. से ऊपर
तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक-तट तथा गोवा
20° से 25° से. तक
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र और गुजरात के तटवर्ती भाग
15° से 20° से. तक
असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात के उत्तरी भाग, राजस्थान के दक्षिणी भाग और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग
10° से 15° से. तक
उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग, राजस्थान के उत्तरी भाग, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर के दक्षिणी भाग
10° से. से कम
जम्मू और कश्मीर
बर्फ जमने के बिन्दु (6° से. कम)
अति ऊँचे पर्वतों पर और कभी-कभार उत्तरी भारत के मैदान
तापमान जुलाई (ग्रीष्म ऋतु)
तापमान
राज्य
30° से. से ज्यादा
भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग तथा आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटवर्ती भाग
ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी भारत की भूमि बहुत तप रही होती है, और यहाँ की वायु गरम होकर ऊपर को उठती रहती है। इस प्रकार यहाँ वायुदाब कम हो जाता है।
इस रिक्तता को भरने के लिए हिन्द महासागर से शीतल हवाएँ चलने लगती हैं।
ये दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून हवाएँ कहलाती हैं। समुद्र से आने के कारण ये अपने साथ बहुत सी नमी लाती हैं।
बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएँ, मेघालय, असम और अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों और हिमालय पर्वत से टकरा करपूर्वी भारत में भारी वर्षा करती हैं।
जब ये हिमालय के साथ-साथ पश्चिम की ओर चल देती हैं तो मार्ग में वर्षा करती जाती हैं।
ज्यों-ज्यों ये पश्चिम को बढ़ती हैं, इनमें पानी की मात्रा घटती जाती है। इसलिए हरियाणा और पंजाब में कम वर्षा होती है। मेघालय और असम में सबसे अधिक वर्षा होती है।
अरब सागर की मानसूनी हवाऐं
ये पश्चिमी घाट से टकरा कर पश्चिमी तट पर भारी वर्षा करती हैं।
ये दक्षिण के पठार और पूर्वी तट के प्रदेश में पहुँच पर कम वर्षा करती हैं।
कुछ हवाएँ सतपुड़ा और विन्ध्याचल पहाड़ों के बीच में से होती हुई छोटा नागपुर की पहाड़ियों से टकरा कर मध्य प्रदेश में वर्षा करती हैं।
कुछ और हवाएँ गुजरात पर से होती हुई राजस्थान में अरावली पर्वत के समानान्तर चलती हैं और बिना रोक-टोक हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के पहाड़ों से जा टकराती हैं।
ये हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब और हरियाणा में तो वर्षा कर देती हैं, परन्तु राजस्थान शुष्क ही रह जाता है।
सर्दियों की मानसूनी हवाएँ
सर्दियों में भारत और मध्य एशिया की भूमि हिन्द महासागर की अपेक्षा अधिक सर्द होती है।
इन दिनों निम्नदाब का क्षेत्र हिन्द महासागर में स्थानांतरित हो जाता है और हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं।
ये प्रायः शुष्क होती हैं।
जब ये हवाएं बंगाल की खाड़ी पर से होकर चलती हैं तो कुछ जल-वाष्प साथ ले लेती हैं, फिर तमिलनाडु की पहाड़ियों से टकरा कर वहाँ भारी वर्षा करती हैं।
असम, मेघालय और बंगाल के पहाड़ी भागों में भी कुछ वर्षा हो जाती है।
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा जम्मू और कश्मीर में अत्यन्त शीत पड़ने के कारण वायु में जो कुछ नमी होती है वह वर्षा बन कर बरस जाती है।
शीतकाल में ईरान की खाड़ी पर से आने वाले चक्रवात भी हिन्दुकुश और हिमालय पहाड़ से टकरा कर इन प्रदेशों में वर्षा करते हैं।
भारत की जलवायु – वर्षा
1. घनी वर्षा वाले भाग
2500 मि. मी. से अधिक वर्षा – असम, पश्चिम बगाल का उत्तरी भाग, हिमालय का दक्षिणी ढाल और पश्चिमी तट।
मेघालय (चेरापूंजी के निकट मॉसिनरॅम में) 14000 मि. मी. के लगभग बारिश होती है।
2. कम वर्षा वाले भाग
250 मि. मी.से कम वर्षा – जम्मू और कश्मीर का उत्तर-पूर्वी भाग (लेह), राजस्थान का पश्चिमी भाग (जैसलमेर)।
हरियाणा, पंजाब, गुजरात और दक्षिणी पठार में 500 मि. मी. के लगभग।