
सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं एवं विभिन्न कक्षाओं में भारत के भूगोल (Indian Geography) के छात्रों के लिए भारत की नदी घाटी परियोजनाएं बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। सामान्य ज्ञान की दृष्टि से भी इसका अध्ययन आवश्यक है।
भारत की नदी घाटी परियोजनाएं
देश में जल विद्युत परियोजनाओं की शुरुआत 1897 ई. में सिद्रापोंग (दार्जिलिंग, पश्चिमी बंगाल) में ब्रिटेन के सहयोग से एक लघु जल विद्युत गृह की स्थापना के साथ हुई थी। इस गृह की क्षमता 130 KW थी। इस जल विद्युत गृह को 1997 ई. में हैरिटेज पॉवर स्टेशन घोषित किया गया।
विश्व की प्रथम नदी घाटी परियोजना अमेरिका की टेनिसी परियोजना थी, जिसका निर्माण 1933 में किया गया था।
भारत की नदीघाटी परियोजनाएं निम्न प्रकार हैं-
दामोदर नदी घाटी परियोजना
- यह स्वतंत्र भारत की प्रथम नदीघाटी परियोजना झारखंड और पश्चिमी बंगाल की संयुक्त परियोजना है।
- यह परियोजना अमेरिका की टेनिसी नदी घाटी परियोजना की तर्ज पर पूर्वी भारत में दामोदर नदी व इसकी सहायक नदी बाराकर नदी पर निर्मित है।
- इस परियोजना के तहत तिलैया, कोनार, मैथन, पंचेट और टेनुघाट बांधों का निर्माण किया गया।
- इसके सुगम संचालन के लिए दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है।
- इस योजना के तहत झारखण्ड के हजारी बाग जिले में तिलैया बाँध बनाया गया, जो स्वतंत्र भारत का पहला बाँध था।
भाखड़ा नाँगल परियोजना
यह पंजाब, राजस्थान और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है।
- वर्तमान में भाखड़ा नाँगल परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 1493 मेगावाट है।
- राजस्थान को इस परियोजना से 15.22 प्रतिशत हिस्सा (विद्युत और जल दोनों) प्राप्त होता है।
- इस योजना के तहत सतलज नदी पर भाखड़ा और नाँगल बाँध बनाये गये है।
(1) भाखड़ा बाँध
- इस बाँध का निर्माण हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थान पर किया गया है।
- भाखड़ा बाँध भारत का दूसरा सबसे ऊँचा बाँध है।
- इसकी ऊँचाई पृथ्वी की सतह से 225.55 मीटर है।
- इस बाँध की नींव 17 नवम्बर, 1955 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी तथा इसका निर्माण अमेरिकी बाँध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में अक्टूबर, 1962 में पूर्ण हुआ।
- प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 अक्टूबर, 1963 को भाखड़ा बाँध को राष्ट्र को समर्पित किया।
- नेहरू ने इसको पुनरुत्थित भारत का नवीन मंदिर की संज्ञा देते हुये कहा की यह एक ऐसी चमत्कारी अद्भुत विराटवस्तु है, जिसे देखकर व्यक्ति रोमांचित हो उठता है।
(2) नाँगल बाँध
- इस बाँध का निर्माण सतलज नदी पर भाखड़ा बाँध से 13 किलोमीटर नीचे नाँगल (रोपड़, पंजाब) नामक स्थान पर किया गया है।
- यहाँ से सिंचाई के लिये दो नहरें बिस्त दोआब नहर (पंजाब के लिए) तथा भाखड़ा नहर (राजस्थान और हरियाणा के लिए) निकली गई हैं।

यह भी पढ़ें
नर्मदा घाटी परियोजना (सरदार सरोवर परियोजना)
- इसका निर्माण गुजरात की भाग्य रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी पर किया गया है।
- यह राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है।
- इस योजना में राजस्थान का हिस्सा 0.5 MAF पानी का है।
- नर्मदा परियोजना के अंतर्गत नर्मदा नदी पर गुजरात के नवगाम स्थान पर सरदार सरोवर बाँध का निर्माण किया गया है।
- सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई 138.68 मीटर है।
- मेघा पाटेकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन इसी परियोजना के दौरान प्रारंभ किया था।
- नर्मदा बचाओ आंदोलन का उद्देश्य इस योजना के तहत विस्थापित किये गये लोगों को पुनर्वास उपलब्ध कराना था।
व्यास परियोजना
- रावी, व्यास और सतलज नदियों के पानी का उपयोग करने हेतु यह पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश (जल विद्युत हेतु) की संयुक्त परियोजना है।
- इस परियोजना के तहत हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी पर पंडोह बाँध (देहर) व पोंग बाँध का निर्माण किया गया है।
- पंडोह बाँध पर देहर नामक स्थान पर 990 मेगावाट और पोंग बाँध पर 396 मेगावाट के विद्युत गृह स्थापित किए गये है।
- पोंग बाँध का मुख्य उद्देश्य इंदिरा गंधी परियोजना को शीतकाल में जल की आपूर्ति बनाये रखना है।
- राजस्थान को देहर विद्युत गृह से 20 प्रतिशत व पोंग विद्युत गृह से 59 प्रतिशत विद्युत की आपूर्ति तथा इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना को जल उपलब्ध होता है।

हीराकुण्ड परियोजना
- यह उड़ीसा राज्य की प्रमुख परियोजना है।
- इसका निर्माण उड़ीसा का शोक कही जाने वाली महानदी पर किया गया है।
- इस योजना के तहत उड़ीसा राज्य के सम्बलपुर जिले में महानदी पर हिराकुण्ड बाँध का निर्माण किया गया है, जो विश्व का सबसे लम्बा बाँध है।

माही बजाज सागर परियोजना
- यह राजस्थान और गुजरात की की संयुक्त परियोजना है।
- इसके तहत बाँसवाड़ा के निकट बोरखेड़ा गाँव में माही बजाज सागर बाँध तथा गुजरात में कड़ाना बाँध का निर्माण किया गया है।
- माही परियोजना का नामकरण राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय नेता जमनालाल बजाज के नाम पर माही बजाज सागर परियोजना किया गया।
कोसी परियोजना
- बिहार का शोक कोसी नदी के द्वारा उत्तरी बिहार में आने वाली बाढ़ को रोकने के लिए कोसी नदी पर 1956 ई. में इस परियोजना का निर्माण किया गया।
- यह नेपाल और भारत की संयुक्त परियोजना है।
टिहरी परियोजना
- भागीरथी और भीलांगना नदियों के संगम पर निर्मित टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा बाँध है।
- यह विश्व का सबसे ऊँचा चट्टान आपूर्ति बाँध भी है। इस बाँध की ऊँचाई 260.5 मीटर है।
- टिहरी परियोजना में विद्युत का निर्माण निम्न प्रकार है-
-
- टिहरी बाँध व जल विद्युत संयंत्र (1000 मेगावाट)
- कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना (400 मेगावाट)
- टिहरी पम्प स्टोरेज प्लांट (1000 मेगावाट) यह भारत का सबसे बड़ा पम्प स्टोरेज प्लांट (PSP) है।

किशनगंगा परियोजना
- जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा नदी पर 330 मेगावाट की यह भारत और पाकिस्तान विवादित परियोजना मार्च, 2018 में विकसित की गई।
- इस परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने 19 मई, 2018 को किया था।
रिहंद बाँध परियोजना
- उत्तरप्रदेश में सोन की प्रसिद्ध घाटी में रिहंद नदी पर पिपरी (सोनभद्र) नामक स्थान पर रिहंद बाँध का निर्माण किया गया है।
- इस बाँध के पीछे ए कृत्रिम झील गोविंद वल्लभ पंत सागर का निर्माण किया गया है जो भारत की सबसे बाड़ी कृत्रिम झील है।
नागार्जुन सागर बाँध परियोजना
- इस बाँध का निर्माण कृष्णा नदी पर गुंटूर (आंध्रप्रदेश) तथा नलगोंडा (तेलंगाना) जिलों की सीमा पर किया गया है।
- यह भारत का दूसरा सर्वाधिक भराव क्षमता वाला बाँध है।
- इस बाँध के पीछे नागार्जुन सागर जलाशय बनाया गया है।
- इस परियोजना के तहत दो नहरे निकली गई हैं, जिसमे बायीं नहर को लाल बहादुर शास्त्री नहर तथा दायीं नहर को जवाहर नहर के नाम से जाना जाता है।
राणा प्रताप सागर बाँध
- यह बाँध राजस्थान में चम्बल नदी पर रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) में निर्मित किया गया है।
- इस बाँध के ऊपर कनाडा के सहयोग से राजस्थान का प्रथम एवं भारत का दूसरा परमाणु विद्युत गृह बनाया गया है।
शरावती परियोजना
- कर्नाटक में शरावती नदी पर निर्मित इस परियोजना की क्षमता 1469 मेगावाट है।
- इस योजना के तहत शरावती विद्युत गृह अम्बुतीर्थ, लिंगनमक्की बाँध, गोरसप्पा बाँध और महात्मा गाँधी विद्युत गृह का निर्माण किया गया है।
काली नदी परियोजना
- कर्नाटक में काली नदी पर बनायी गयी इस परियोजना की क्षमता 1225 मेगावाट है।
- इस परियोजना के तहत सूपा बाँध, अपर कानेरी बाँध, कादरा बाँध, कोडसल्ली बाँध, बोम्मनहल्ली बाँध और टाटीहल्ला बाँध का निर्माण किया है।
मयूराक्षी परियोजना
- पश्चिमी बंगाल के वीरभूम जिले में मेंसजोर मेगावाट नामक स्थान पर तथा छोटा नागपुर पठार की मयूराक्षी नदी के तट पर मयूराक्षी बाँध का निर्माण किया है।
- इस बाँध को कनाडा बाँध या मैंसेनजोर बाँध भी कहा जाता है।
- इसके द्वारा पश्चिमी बंगाल को सिंचाई तथा झारखंड को बिजली से लाभान्वित किया जा रहा है।
तुंगभद्रा बाँध परियोजना
- यह परियोजना कृष्णा नदी की सहायक नदी तुंगभद्रा पर कर्नाटक के बेल्लारी नामक स्थान पर बनाया गया है।
- इस बाँध की क्षमता 72 मेगावाट, लंबाई 2443 मीटर तथा ऊँचाई 50 मीटर है।
- पुरातात्विक स्थल हम्पी इस बाँध के निकट स्थित है।
