
पृथ्वी का वायुमंडल एवं परते
तापमान मे अंतर के आधार पर पृथ्वी का वायुमंडल पाँच भागों में विभाजित किया गया है-
1. क्षोभमण्डल (ट्रोपोस्पीयर)
- यह पृथ्वी के धरातल की सबसे निकट की परत है अर्थात पृथ्वी का वायुमंडल की सबसे निचली परत है।
- इसमें तापमान मे सर्वाधिक उतार-चढ़ाव होते है, इस कारण इसे परिवर्तन मण्डल भी कहा जाता है।
- इस परत में संहवन धारायें चलने के कारण इसे संहवन मण्डल भी कहा जाता है।
- सभी मौसमी घटनायें जैसे- बादल बनना, वर्षा का होना, ओलावृष्टि और कोहरा आदि घटनायें इसी मण्डल में घटित होती हैं। इसी कारण क्षोभ मण्डल को वायुमंडल की सबसे महत्वपूर्ण परत कहा जाता है।
क्षोभमण्डल का विस्तार
भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर तथा ध्रुवों पर 8 किलोमीटर क्षोभमण्डल का विस्तार है। इस परत की औसत मोटाई 13 किलोमीटर है।
क्षोभमण्डल का तापमान
इस परत मे ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में कमी आती जाती है। 165 मीटर की ऊँचाई पर 1ºC की कमी आती जाती है।
क्षोभ सीमा
क्षोभमण्डल के ऊपर 1.5 किमी से 2 किमी का क्षेत्र जहाँ तापमान मे लगभग स्थिरता पायी जाती है, क्षोभ सीमा कहलाती है। इसे शांत मण्डल के नाम से भी जाना जाता है।

2. समतापमण्डल (स्टेटोस्पीय)
- इस मण्डल में ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में वृद्धि होती है।
- इसमें 20-35 किमी के बीच ओज़ोन गैस की सघन परत पाई जाती है, जिसे पृथ्वी का सुरक्षा कवच भी कहते है।
- ओज़ोन परत सूर्य से आने वाली पैराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी की सुरक्षा करती है।
- विश्व के देशों के द्वारा 1987 ई. मे ओज़ोन परत को नष्ट होने से बचाने के लिए ‘माट्रियल समझोता’ किया गया था।
- ओज़ोन गैस की परत का नष्ट होने का प्रमुख कारण क्लोरो-फ़्लोरो कार्बन तथा फ्रियॉन गैस है।
- ओज़ोन गैस की सर्वाधिक मात्रा विषुवत रेखा के बजाय ध्रुवों पर पायी जाती है।
- वायुयान इसी मण्डल/ परत में उड़ान भरते है।
समताप मण्डल का विस्तार
इसका विस्तार क्षोभ मण्डल से ऊपर 50 किमी तक है।
समताप सीमा
यह समताप मण्डल के ऊपर पायी जाती है, जहाँ तापमान मे स्थिरता पायी जाती है।

3. मध्यम मण्डल (मिजोस्पीयर)
- इस परत में ऊँचाई के साथ-साथ तापमान मे कमी आती है।
- उल्का पिंड इसी मण्डल तक पहुँचते-पहुँचते नष्ट हो जाते है।
मध्यममण्डल का विस्तार
इसका विस्तार समताप मण्डल से ऊपर 80 किलोमीटर तक है।
मध्य सीमा
यह मध्यम मण्डल के ऊपर पायी जाती है, जिसमें तापमान मे स्थिरता पायी जाती है। इसको मिजोपाज के नाम से जाना जाता है।
4. आयन मण्डल (आयनोस्पीयर)
- ये आपेशिल परत है, जो पृथ्वी पर संचार के साधनों जैसे- रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल इत्यादि के संचालन के लिए उपग्रह की कक्षा का कार्य करती है।
- इस मण्डल में ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में वृद्धि होती जाती है।
- इस परत को थर्मोस्पीयर या तापमण्डल के नाम से भी जाता है।